Tuesday, June 27, 2017

आखिर GST में किया किया आता है।

0% GST Rates Items –*
गेहूं, चावल, दूसरे अनाज, आटा, मैदा, बेसन, चूड़ा, मूड़ी (मुरमुरे), खोई, ब्रेड, गुड़, दूध, दही, लस्सी, खुला पनीर, अंडे, मीट-मछली, शहद, ताजी फल-सब्जियां, प्रसाद, नमक, सेंधा/काला नमक, कुमकुम, बिंदी, सिंदूर, चूड़ियां, पान के पत्ते, गर्भनिरोधक, स्टांप पेपर, कोर्ट के कागजात, डाक विभाग के पोस्टकार्ड/लिफाफे, किताबें, स्लेट-पेंसिल, चॉक, समाचार पत्र-पत्रिकाएं, मैप, एटलस, ग्लोब, हैंडलूम, मिट्टी के बर्तन, खेती में इस्तेमाल होने वाले औजार, बीज, बिना ब्रांड के ऑर्गेनिक खाद, सभी तरह के गर्भनिरोधक, ब्लड, सुनने की मशीन।

*5% GST Rates Items –*
ब्रांडेड अनाज, ब्रांडेड आटा, ब्रांडेड शहद, चीनी, चाय, कॉफी, मिठाइयां, *खाद्य तेल,* स्किम्ड मिल्क पाउडर, बच्चों के मिल्क फूड, रस्क, पिज्जा ब्रेड, टोस्ट ब्रेड, पेस्ट्री मिक्स, प्रोसेस्ड/फ्रोजन फल-सब्जियां, पैकिंग वाला पनीर, ड्राई फिश, न्यूजप्रिंट, ब्रोशर, लीफलेट, राशन का केरोसिन, रसोई गैस, झाडू, क्रीम, *मसाले,* जूस, साबूदाना, जड़ी-बूटी, लौंग, दालचीनी, जायफल, जीवन रक्षक दवाएं, स्टेंट, ब्लड वैक्सीन, हेपेटाइटिस डायग्नोसिस किट, ड्रग फॉर्मूलेशन, क्रच, व्हीलचेयर, ट्रायसाइकिल, लाइफबोट, हैंडपंप और उसके पार्ट्स, सोलर वाटर हीटर, रिन्यूएबल एनर्जी डिवाइस, ईंट, मिट्टी के टाइल्स, साइकिल-रिक्शा के टायर, कोयला, लिग्नाइट, कोक, कोल गैस, सभी ओर (अयस्क) और कंसेंट्रेट, राशन का केरोसिन, रसोई गैस।

*12% GST Rates Items –*
नमकीन, भुजिया, *बटर ऑयल, घी*, मोबाइल फोन, ड्राई फ्रूट, फ्रूट और वेजिटेबल जूस, सोया मिल्क जूस और दूध युक्त ड्रिंक्स, प्रोसेस्ड/फ्रोजन मीट-मछली, अगरबत्ती, कैंडल, आयुर्वेदिक-यूनानी-सिद्धा-होम्यो दवाएं, गॉज, बैंडेज, प्लास्टर, ऑर्थोपेडिक उपकरण, टूथ पाउडर, सिलाई मशीन और इसकी सुई, बायो गैस, एक्सरसाइज बुक, क्राफ्ट पेपर, पेपर बॉक्स, बच्चों की ड्रॉइंग और कलर बुक, प्रिंटेड कार्ड, चश्मे का लेंस, पेंसिल शार्पनर, छुरी, कॉयर मैट्रेस, एलईडी लाइट, किचन और टॉयलेट के सेरेमिक आइटम, स्टील, तांबे और एल्यूमीनियम के बर्तन, इलेक्ट्रिक वाहन, साइकिल और पार्ट्स, खेल के सामान, खिलौने वाली साइकिल, कार और स्कूटर, आर्ट वर्क, मार्बल/ग्रेनाइट ब्लॉक, छाता, वाकिंग स्टिक, फ्लाईएश की ईंटें, कंघी, पेंसिल, क्रेयॉन।

*18% GST Rates Items –*
हेयर ऑयल, साबुन, टूथपेस्ट, कॉर्न फ्लेक्स, पेस्ट्री, केक, जैम-जेली, आइसक्रीम, इंस्टैंट फूड, शुगर कन्फेक्शनरी, फूड मिक्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स कंसेंट्रेट, डायबेटिक फूड, निकोटिन गम, मिनरल वॉटर, हेयर ऑयल, साबुन, टूथपेस्ट, कॉयर मैट्रेस, कॉटन पिलो, रजिस्टर, अकाउंट बुक, नोटबुक, इरेजर, फाउंटेन पेन, नैपकिन, टिश्यू पेपर, टॉयलेट पेपर, कैमरा, स्पीकर, प्लास्टिक प्रोडक्ट, हेलमेट, कैन, पाइप, शीट, कीटनाशक, रिफ्रैक्टरी सीमेंट, बायोडीजल, प्लास्टिक के ट्यूब, पाइप और घरेलू सामान, सेरेमिक-पोर्सिलेन-चाइना से बनी घरेलू चीजें, कांच की बोतल-जार-बर्तन, स्टील के ट-बार-एंगल-ट्यूब-पाइप-नट-बोल्ट, एलपीजी स्टोव, इलेक्ट्रिक मोटर और जेनरेटर, ऑप्टिकल फाइबर, चश्मे का फ्रेम, गॉगल्स, विकलांगों की कार।

*28% GST Rates Items –*
कस्टर्ड पाउडर, इंस्टैंट कॉफी, चॉकलेट, परफ्यूम, शैंपू, ब्यूटी या मेकअप के सामान, डियोड्रेंट, हेयर डाइ/क्रीम, पाउडर, स्किन केयर प्रोडक्ट, सनस्क्रीन लोशन, मैनिक्योर/पैडीक्योर प्रोडक्ट, शेविंग क्रीम, रेजर, आफ्टरशेव, लिक्विड सोप, डिटरजेंट, एल्युमीनियम फ्वायल, टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर, डिश वाशर, इलेक्ट्रिक हीटर, इलेक्ट्रिक हॉट प्लेट, प्रिंटर, फोटो कॉपी और फैक्स मशीन, लेदर प्रोडक्ट, विग, घड़ियां, वीडियो गेम कंसोल, सीमेंट, पेंट-वार्निश, पुट्टी, प्लाई बोर्ड, मार्बल/ग्रेनाइट (ब्लॉक नहीं), प्लास्टर, माइका, स्टील पाइप, टाइल्स और सेरामिक्स प्रोडक्ट, प्लास्टिक की फ्लोर कवरिंग और बाथ फिटिंग्स, कार-बस-ट्रक के ट्यूब-टायर, लैंप, लाइट फिटिंग्स, एल्युमिनियम के डोर-विंडो फ्रेम, इनसुलेटेड वायर-केबल।

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*1 जुलाई से* बदल जाएंगे रेलवे के ये 10 नियम....

*१*) वेटिंग लिस्ट का झंझट खत्म हो जाएगा। रेलवे की ओर से चलाई जाने वाली सुविधा ट्रेनों में यात्रियों को कन्फर्म टिकट की सुविधा दी जाएगी।
*२*) 1 जुलाई से तत्काल टिकट कैंसिल करने पर 50 फीसदी राशी वापस किए जाएंगे।
*३*) 1 जुलाई से तत्काल टिकट के नियमों में बदलाव हुआ है। सुबह 10 से 11 बजे तक एसी कोच के लिए टिकट बुकिंग होगी जबकि 11 से 12 बजे तक स्लीपर कोच की बुकिंग होगी।
*४*) 1 जुलाई से राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में पेपरलेस टिकटिंग की सुविधा शुरु हो रही हैं। इस सुविधा के बाद शताब्दी और राजधानी ट्रेनों में पेपर वाली टिकट नहीं मिलेगी, बल्कि आपके मोबाईल पर टिकट भेजा जाएगा।
*५*) जल्द ही रेलवे अगल-अगल भाषाओं में टिकटिंग की सुविधा शुरु होने जा रही हैं। अभी तक रेलवे में हिंदी और अंग्रेजी में टिकट मिलती है, लेकिन नई वेबसाइट के बाद अब अलग-अगल भाषाओं में टिकट की बुकिंग की जा सकेगी।
*६*) रेलवे में टिकट के लिए हमेशा से मारामारी होती रहती है। ऐसे में 1 जुलाई से शताब्दी और राजधानी ट्रेनों में कोचों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
*७*) भीड़भाड़ के दिनों में रेलगाड़ी में बेहतर सुविधा देने के लिए वैकल्पित रेलगाड़ी समायोजन प्रणाली, सुविधा ट्रेन शुरु करने और महत्वपूर्ण ट्रेनों की डुप्लीकेट गाड़ी चलाने की योजना है।
*८*) रेल मंत्रालय ने 1 जुलाई से राजधानी, शताब्दी, दुरंतो और मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के तर्ज पर सुविधा ट्रेन चलाई जाएगी।
*९*) 1 जुलाई से रेलवे प्रीमियम ट्रेनों को पूरी तरह से बंद करने जा रहा है।
*१०*) सुविधा ट्रेनों में टिकट वापसी पर 50 फीसदी किराए की वापसी होगी। इसके अलावा एसी-2 पर 100 रुपए, एसी-3 पर 90 रुपए, स्लीपर पर 60 रुपए प्रति यात्री कटेंगे।
जन हित में जारी

🦋 *ट्रेन में बेफिक्र होकर सोएं*, डेस्टिनेशन स्टेशन आने पर जगा देगा रेलवे....

आपको 139 पर फोन कर वेकअप कॉल-डेस्टिनेशन अलर्ट सुविधा अपने पीएनआर पर एक्टिवेट करवाना होगी l

ट्रेन में रात के समय सफर करने वाले यात्रियों को डेस्टिनेशन स्टेशन आने से पहले रेलवे ने वेकअप कॉल-डेस्टिनेशन अलर्ट सुविधा शुरू कर दी है।

➡ *क्या है डेस्टिनेशन अलर्ट*

> इस सुविधा को *डेस्टिनेशन अलर्ट* नाम दिया गया है।

> सुविधा को एक्टिवेट करने पर डेस्टिनेशन स्टेशन आने से पहले ही मोबाइल पर अलार्म बजेगा।

> सुविधा को एक्टिवेट करने के लिए
*अलर्ट* टाइप करने के बाद
*पीएनआर नंबर* टाइप करना होगा
और 139 पर सेंड करना होगा।

> 139 पर *कॉल करना होगा*।
कॉल करने के बाद भाषा चुने
और फिर 7 डायल करें।
*7 डायल करने के बाद पीएनआर नंबर डायल करना होगा*। इसके बाद यह सेवा एक्टिवेट हो जाएगी

> इस सुविधा को *वेकअप कॉल* नाम दिया गया है।

➡ रिसीव होने तक बजेगी मोबाइल की घंटी

🔺इस सेवा को एक्टिवेट करने पर स्टेशन आने से पहले मोबाइल की घंटी बजेगी।
यह घंटी तब-तक बजती रहेगी, जब तक आप फोन रिसीव नहीं करेंगे। फोन रिसीव होने पर यात्री को सूचित किया जाएगा कि स्टेशन आने वाला है।

🙏🏻 *कृपया यह संदेश सभी को भेज दें।*🌺

Wednesday, June 7, 2017

तलाक़ की हक़ीक़त।

हज़रत मौलाना साहब ने तलाक पर जो खुलासा किया है यह वाकई पढ़ने लायक है, आप सब से गुजारिश है कि इसे।  एकबार अवश्य पढ़ें ओर शेयर करे जिससे की लोगो को तीन तलाक़ के बारे मे सही और ठीक जानकारी हासिल हो जाये:-

*ये है इस्‍लाम में *तीन तलाक*की वो हकीकत, जिसे मुसलमान भी ठीक से नहीं जानते..!*
मीडिया तो बिल्कुल नही जानता,और जिन मोलवियों को बुलाता है वो भी नही जानते,  बीजेपी वाले बेचारे अचानक मुसलमान औरतों के हमदर्द बनने लगे उन्हें भी नहीं पता

*इसे ध्यान से पढिये*
यूं तो तलाक़ कोई अच्छी चीज़ नहीं है और सभी लोग इसको ना पसंद करते हैं। इस्लाम में भी यह एक बुरी बात समझी जाती है, लेकिन इसका मतलब यह हरगिज़ नहीं कि तलाक़ का हक ही इंसानों से छीन लिया जाए। दरअसल, पति-पत्नी में अगर किसी तरह भी निबाह नहीं हो पा रहा है, तो अपनी ज़िंदगी जहन्नुम बनाने से बेहतर है कि वो अलग होकर अपनी ज़िन्दगी का सफ़र अपनी मर्ज़ी से पूरा करें जो कि इंसान होने के नाते उनका हक है, इसलिए दुनिया भर के कानून में तलाक़ की गुंजाइश मौजूद है, और इसलिए पैगम्बरों के दीन (धर्म) में भी तलाक़ की गुंजाइश हमेशा से रही है।

*आइए अब जरा नजर डालते हैं पवित्र कुरान में तलाक के असल मायने क्‍या हैं?*
दरअसल, दीने इब्राहीम की रिवायात के मुताबिक अरब, जाहिलियत के दौर में भी तलाक़ से अनजान नहीं थे, उनका इतिहास बताता है कि तलाक़ का कानून उनके यहां भी लगभग वही था, जो अब इस्लाम में है, लेकिन कुछ बिदअतें उन्होंने इसमें भी दाखिल कर दी थीं।
किसी जोड़े में तलाक की नौबत आने से पहले हर किसी की यह कोशिश होनी चाहिए कि जो रिश्ते की डोर एक बार बन्ध गई है,उसे मुमकिन हद तक टूटने से बचाया जाए।
जब किसी पति-पत्नी का झगड़ा बढ़ता दिखाई दे, तो अल्लाह ने कुरान में उनके करीबी रिश्तेदारों और उनका भला चाहने वालों को यह हिदायतें दी है कि वो आगे बढ़ें और मामले को सुधारने की कोशिश करें। इसका तरीका कुरान ने यह बतलाया है कि  “एक फैसला करने वाला शौहर के खानदान में से मुकर्रर (नियुक्त) करें और एक फैसला करने वाला बीवी के खानदान में से चुने और वो दोनों पक्ष मिल कर उनमे सुलह कराने की कोशिश करें। इससे उम्मीद है कि जिस झगड़े को पति पत्नी नहीं सुलझा सके वो खानदान के बुज़ुर्ग और दूसरे हमदर्द लोगों के बीच में आने से सुलझ जाए।

*कुरान ने इसे कुछ यूं बयान किया है –* _“और अगर तुम्हें शौहर बीवी में फूट पड़ जाने का अंदेशा हो तो एक हकम (जज) मर्द के लोगों में से और एक औरत के लोगों में से मुक़र्रर कर दो, अगर शौहर बीवी दोनों सुलह चाहेंगे तो अल्लाह उनके बीच सुलह करा देगा, बेशक अल्लाह सब कुछ जानने वाला और सब की खबर रखने वाला है” (सूरेह निसा-35)._
इसके बावजूद भी अगर शौहर और बीवी दोनों या दोनों में से किसी एक ने तलाक का फैसला कर ही लिया है, तो शौहर बीवी के खास दिनों (Menstruation) के आने का इंतजार करे, और खास दिनों के गुज़र जाने के बाद जब बीवी पाक़ हो जाए तो बिना हम बिस्तर हुए कम से कम दो जुम्मेदार लोगों को गवाह बना कर उनके सामने बीवी को एक तलाक दे,  यानी शौहर हर बीवी से सिर्फ इतना कहे कि ”मैं तुम्हे तलाक देता हूं”।
तलाक हर हाल में एक ही दी जाएगी दो या तीन या सौ नहीं, जो लोग जिहालत की हदें पार करते हुए दो तीन या हज़ार तलाक बोल देते हैं, यह इस्लाम के बिल्कुल खिलाफ अमल है और बहुत बड़ा गुनाह है। अल्लाह के रसूल (सल्लाहू अलैहि वसल्लम) के फरमान के मुताबिक जो ऐसा बोलता है, वो इस्लामी शरियत और कुरान का मज़ाक उड़ा रहा होता है।
इस एक तलाक के बाद बीवी 3 महीने यानी 3 तीन हैज़ (जिन्हें इद्दत कहा जाता है और अगर वो प्रेग्नेंट है तो बच्चा होने तक) शौहर ही के घर रहेगी और उसका खर्च भी शौहर ही के जिम्‍मे रहेगा, लेकिन उनके बिस्तर अलग रहेंगे, कुरान ने सूरेह तलाक में हुक्म फ़रमाया है कि इद्दत पूरी होने से पहले ना तो बीवी को ससुराल से निकाला जाए और ना ही वो खुद निकले, इसकी वजह कुरान ने यह बतलाई है कि इससे उम्मीद है कि इद्दत के दौरान शौहर बीवी में सुलह हो जाए और वो तलाक का फैसला वापस लेने को तैयार हो जाएं।

अक्ल की रौशनी से अगर इस हुक्म पर गौर किया जाए तो मालूम होगा कि इसमें बड़ी अच्छी हिकमत है। हर मआशरे (समाज) में बीच में आज भड़काने वाले लोग मौजूद होते ही हैं। अगर बीवी तलाक मिलते ही अपनी मां के घर चली जाए तो ऐसे लोगों को दोनों तरफ कान भरने का मौका मिल जाएगा, इसलिए यह ज़रूरी है कि बीवी इद्दत का वक़्त शौहर ही के घर गुज़ारे।
फिर अगर शौहर बीवी में इद्दत के दौरान सुलह हो जाए, तो फिर से वो दोनों बिना कुछ किए शौहर और बीवी की हैसियत से रह सकते हैं। इसके लिए उन्हें सिर्फ इतना करना होगा कि जिन गवाहों के सामने तलाक दी थी, उन्‍हें खबर कर दें कि हमने अपना फैसला बदल लिया है, कानून में इसे ही ”रुजू” करना कहते हैं और यह ज़िन्दगी में दो बार किया जा सकता है, इससे ज्यादा नहीं। (सूरेह बक्राह-229)
शौहर रुजू ना करे तो इद्दत के पूरा होने पर शौहर बीवी का रिश्ता ख़त्म हो जाएगा। लिहाज़ा कुरान ने यह हिदायत फरमाई है कि इद्दत अगर पूरी होने वाली है, तो शौहर को यह फैसला कर लेना चाहिए कि उसे बीवी को रोकना है या रुखसत करना है।
दरअसल, दोनों ही सूरतों में अल्लाह का हुक्म है कि मामला भले तरीके से किया जाए। सूरेह बक्राह में हिदायत फरमाई है कि अगर बीवी को रोकने का फैसला किया है, तो यह रोकना वीबी को परेशान करने के लिए हरगिज़ नहीं होना चाहिए बल्कि सिर्फ भलाई के लिए ही रोका जाए।
*अल्लाह कुरान में फरमाता है –*_ “और जब तुम औरतों को तलाक दो और वो अपनी इद्दत के खात्मे पर पहुंच जाए तो या तो उन्हें भले तरीक़े से रोक लो या भले तरीक़े से रुखसत कर दो, और उन्हें नुक्सान पहुंचाने के इरादे से ना रोको के उन पर ज़ुल्म करो, और याद रखो के जो कोई ऐसा करेगा वो दर हकीकत अपने ही ऊपर ज़ुल्म ढाएगा, और अल्लाह की आयातों को मज़ाक ना बनाओ और अपने ऊपर अल्लाह की नेमतों को याद रखो और उस कानून और हिकमत को याद रखो जो अल्लाह ने उतारी है जिसकी वो तुम्हे नसीहत करता है, और अल्लाह से डरते रहो और ध्यान रहे के अल्लाह हर चीज़ से वाकिफ है”। (सूरेह बक्राह-231)_
लेकिन अगर उन्होंने इद्दत के दौरान रुजू नहीं किया और इद्दत का वक़्त ख़त्म हो गया तो अब उनका रिश्ता ख़त्म हो जाएगा, अब उन्हें जुदा होना है।
इस मौके पर कुरान ने कम से कम दो जगह (सूरेह बक्राह आयत 229 और सूरेह निसा आयत 20 में) इस बात पर बहुत ज़ोर दिया है कि मर्द ने जो कुछ बीवी को पहले गहने, कीमती सामान, रुपये या कोई जाएदाद तोहफे के तौर पर दे रखी थी, उसका वापस लेना शौहर के लिए बिल्कुल जायज़ नहीं है, वो सब माल जो बीवी को तलाक से पहले दिया था वो अब भी बीवी का ही रहेगा और वो उस माल को अपने साथ लेकर ही घर से जाएगी, शौहर के लिए वो माल वापस मांगना या लेना या बीवी पर माल वापस करने के लिए किसी तरह का दबाव बनाना बिल्कुल जायज़ नहीं है।
(नोट– अगर बीवी ने खुद तलाक मांगी थी जबकि शौहर उसके सारे हक सही से अदा कर रहा था या बीवी खुली बदकारी पर उतर आई थी, जिसके बाद उसको बीवी बनाए रखना मुमकिन नहीं रहा था, तो मेहर के अलावा उसको दिए हुए माल में से कुछ को वापस मांगना या लेना शौहर के लिए जायज़ है।) अब इसके बाद बीवी आज़ाद है, वो चाहे जहां जाए और जिससे चाहे शादी करे, अब पहले शौहर का उस पर कोई हक बाकी नहीं रहा।)
इसके बाद तलाक देने वाला मर्द और औरत जब कभी ज़िन्दगी में दोबारा शादी करना चाहें तो वो कर सकते हैं, इसके लिए उन्हें आम निकाह की तरह ही फिरसे निकाह करना होगा और शौहर को मेहर देने होंगे और बीवी को मेहर लेने होंगे।
अब फ़र्ज़ करें कि दूसरी बार निकाह करने के बाद कुछ समय के बाद उनमे फिरसे झगड़ा हो जाए और उनमे फिरसे तलाक हो जाए तो फिर से वही पूरा प्रोसेस दोहराना होगा जो ऊपर बताया गया है।
अब फ़र्ज़ करें कि दूसरी बार भी तलाक के बाद वो दोनों आपस में शादी करना चाहें तो शिरयत में तीसरी बार भी उन्हें निकाह करने की इजाज़त है। लेकिन अब अगर उनको तलाक हुई तो यह तीसरी तलाक होगी जिस के बाद ना तो रुजू कर सकते हैं और ना ही आपस में निकाह किया जा सकता है।
*हलाला :* अब चौथी बार उनकी आपस में निकाह करने की कोई गुंजाइश नहीं, लेकिन सिर्फ ऐसे कि अपनी आज़ाद मर्ज़ी से वो औरत किसी दूसरे मर्द से शादी करे और इत्तिफाक़ से उनका भी निभा ना हो सके और वो दूसरा शौहर भी उसे तलाक दे दे या मर जाए तो ही वो औरत पहले मर्द से निकाह कर सकती है, इसी को कानून में ”हलाला” कहते हैं। लेकिन याद रहे यह इत्तिफ़ाक से हो तो जायज़ है,  जान बूझकर या प्लान बना कर किसी और मर्द से शादी करना और फिर उससे सिर्फ इसलिए तलाक लेना ताकि पहले शौहर से निकाह जायज़ हो सके यह साजिश सरासर नाजायज़ है और अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने ऐसी साजिश करने वालों पर लानत फरमाई है।
खुला: अगर सिर्फ बीवी तलाक चाहे तो उसे शौहर से तलाक मांगना होगी, अगर शौहर नेक इंसान होगा तो ज़ाहिर है वो बीवी को समझाने की कोशिश करेगा और फिर उसे एक तलाक दे देगा, लेकिन अगर शौहर मांगने के बावजूद भी तलाक नहीं देता तो बीवी के लिए इस्लाम में यह आसानी रखी गई है कि वो शहर काज़ी (जज) के पास जाए और उससे शौहर से तलाक दिलवाने के लिए कहे। दरअसल, इस्लाम ने काज़ी को यह हक़ दे रखा है कि वो उनका रिश्ता ख़त्म करने का ऐलान कर दे, जिससे उनकी तलाक हो जाएगी, कानून में इसे ”खुला” कहा जाता है।

यही तलाक का सही तरीका है, लेकिन अफ़सोस की बात है कि हमारे यहां इस तरीके की खिलाफ वर्जी भी होती है और कुछ लोग बिना सोचे-समझे इस्लाम के खिलाफ तरीके से तलाक देते हैं, जिससे खुद भी परेशानी उठाते हैं और इस्लाम की भी बदनामी होती है!

- असद निजामी